महर्षि महेश योगी जयंती : Maharishi Mahesh Yogi Jayanti
महर्षि महेश योगी स्वामी विवेकानंद के पश्चात ऐसे भारतीय थे जिन्होंने देशों के लोगों को सामूहिक रूप में भारतीय योग विद्या की ओर उन्मुख किया
महर्षि महेश योगी का प्रारंभिक नाम महेश प्रसाद वर्मा था महर्षि महेश योगी जी के पिता का नाम राम प्रकाश वर्मा था महर्षि महेश योगी जी का जन्म आज के छत्तीसगढ़ के राज्य में शहर के पास पांडुका गांव में 12 जनवरी 1918 में हुआ था बाद में भी जबलपुर मध्य प्रदेश में रहने आ गए महर्षि महेश योगी जी एक क्षत्रिय जाति के हिंदू परिवार में जन्मे थे इलाहाबाद विश्वविद्यालय से उन्होंने 1940 में भौतिकी में मास्टर की उपाधि प्राप्त की थी ।
महर्षि महेश योगी जी के गुरु स्वामी ब्रह्मानंद जी थे जो कि ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य भी थेसन 1953 में स्वामी ब्रह्मानंद जी ब्रह्मलीन हो गएमहर्षि महेश योगी जी जब गुरुओं के ब्रह्मलीन हो जाने पर हिमालय में तपस्या में लीन हो गए तो उन्हें भावातीत ध्यान की प्रविधि उद्घाटित हुई सन 1958 में महेश योगी जी ने कलकत्ता से विश्व भ्रमण के लिए प्रस्थान किया और कुआलालंपुर ,सिंगापुर ,हांगकांग ,हवाई द्वीप ,होते हुए अमेरिका पहुंचे ।
जब महेश योगी जी वापस भारत आए तब उनके साथ 45 विदेशी ध्यान शिक्षक बनने के लिए विशेष प्रशिक्षण हेतु साथ आए उन्होंने 3 माह का योग प्रशिक्षण पाठ्यक्रम ऋषिकेश में पूरा किया और वापस विदेश चले गए 1971 में इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी की अमेरिका में स्थापना की जिसका प्रधान कार्यालय लास एंजिल्स में है ।
अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका ,बेल्जियम ,ब्राजील ,वर्मा, कनाडा ,कोलंबिया, डेनमार्क, यूथोपिया, फिनलैंड ,फ्रांस जर्मनी ग्रेट ब्रिटेन गिरीश, हॉलैंड, हांगकांग, आइसलैंड ,ईरान ,आयरलैंड इजरायल इटली जापान आदि में आध्यात्मिक केंद्र की स्थापना की ।
महर्षि महेश योगी द्वारा दिए गए ध्यान का नाम भावातीत ध्यान है जिसकी निम्न विशेषताएं हैं
• यह ध्यान से ली प्रगाढ़ होते हुए भी सरल है
• बुद्धिमान मतिमंद कोई भी इस ध्यान शैली में सफलता प्राप्त कर सकता है
• यह ध्यान की क्रिया प्रत्यक्ष तथा अनु भाग्य में है सरल है वैज्ञानिक है
• स्त्री-पुरुष कोई भी ध्यान के द्वारा समस्त व्यवहार संपादन करते हुए अपने जीवन में सुख शांति और आनंद भर सकता है
• शारीरिक मानसिक तथा आध्यात्मिक विकास के लिए लाभकारी है
• यह शैली किसी धर्म संप्रदाय या विश्वास का विरोध नहीं करती
• इस शैली के द्वारा मन सहजी अनंत शक्ति सृजनात्मक बुद्धि आनंद तथा शांति के उद्गम स्थान तक पहुंच सकते हैं
यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास यूनिवर्सिटी ऑफ सक्सेस यूनिवर्सिटी ऑफ रिसर्च इंस्टीट्यूट आदि अनेक संस्थानों में भावातीत ध्यान करने वाले हजारों व्यक्तियों के परीक्षण से निष्कर्ष प्राप्त हुए हैं कि मानसिक शांति आंतरिक प्रसन्नता आनंद का अनुभव आत्मविश्वास की वृद्धि बुद्धि की स्थिरता कार्य शक्ति की वृद्धि मानसिक शक्तियों का विकास विचारों की स्पष्टता मानवीय दुर्बलता पर नियंत्रण मानसिक और शारीरिक रोगों का दूर होना निराशा की समाप्ति और आशा का उदय पारिवारिक और सामाजिक जीवन में सामंजस्य कर्मियों की चरितार्थ आदि की प्राप्ति मैया ध्यान सहायक है ।
महर्षि महेश योगी कहते हैं - प्रत्येक मनुष्य के अंदर अखंड सृजनात्मक शक्ति और आनंद का भंडार भरा है चाहे वह महापुरुषों पावर हो सकती हो या निपट दुखी यह नितांत सत्य है कि उस भंडार का लाभ उठाना है तो मनुष्य को वहां पर पहुंचने की विधि जान लेना चाहिए सर्वप्रथम यह जान लेना हुआ कि वह सकती उसके अंदर ही है और किसी प्रकार उस तक पहुंचा जा सकता है फिर नित्य प्रति के सभी व्यवहारों में उसका उपयोग करना चाहिए एक बार संपर्क स्थापित हो जाने पर अक्षय भंडार भलाई का खजाना हो जाएगा चित्र को जगत करके गुप्त निधि तक ले जाने की एक प्रक्रिया है एक कला है इसके लिए वशिष्ठ ज्ञान या तैयारी की आवश्यकता नहीं सही मार्गदर्शन हो तो कोई भी कहीं भी इसका प्रयोग कर सकता है यह भावातीत ध्यान की सरल साधना है इसकी शिक्षा संसार में विभिन्न देशों में दी जा रही हैं अनेक देशों की सरकारों ने इसकी उपयोगिता स्वीकार कर नागरिकों के लिए इसकी शिक्षण की व्यवस्था की है कई जगह पर यह पाठ्यक्रम का अंग भी बना दिया गया है ।
महर्षि महेश योगी जी द्वारा लिखित ग्रंथ निम्न है
• मेडिसन दी साइंस ऑफ बीइंग एंड आर्ट ऑफ लिविंग
• रेडिस्कवरी टो फुलफिल द नीड ऑफ अवर टाइम प्रसिद्ध है
महर्षि महेश योगी कहते हैं कि जीवन मुक्ति के संबंध में ऐसी धारणा बन गई है कि त्याग वैराग्य की पराकाष्ठा ही इसका आधार है किंतु जीवन और मुक्ति इन दो शब्दों का सामान्य अर्थ ही स्पष्ट कर देती है कि जीवन मुक्ति का त्याग वैराग्य से कोई संबंध नहीं है जीवन का लक्षण है कि मन ,बुद्धि ,चित्त, अहंकार, एवं इंद्रिय कुशल रहे और मुक्ति का लक्षण है बंधन हीनता अर्थात समस्त व्यवहार संपादन करते हुए सच्चिदानंद स्वरूप में प्रतिष्ठित रहना ही जीवन मुक्ति का लक्षण है भावातीत ध्यान की इस शैली के द्वारा मन सहज ही भावातीत हो जाता है जीवन मुक्ति का राजमार्ग खुल जाता है ध्यान की इस सरल साधना ने गृहस्थी राख और संग्रहण जीवन में मुक्ति का आदर्श प्रस्तुत किया है अब जीवन मुक्ति सामान्य मनुष्य के लिए ध्रुव कल्पना नहीं रह गई ।
साइंटिफिक अमेरिकन ,द अमेरिकन जनरल ऑफ फिजियोलॉजी, साइंस जनरल ऑफ द अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन न्यू साइंटिफिक ,साइंस डाइजेस्ट ,टूडेज हेल्थ आदि मनोवैज्ञानिक एवं चिकित्सा संबंधी उच्च कोटि की पत्रिका में इनके सर्वेक्षण प्रकाशित हुए ।
महर्षिमहर्षि महेश योगी ने महर्षि मुक्त विश्वविद्यालय की स्थापना की1990 में हॉलैंड की ब्लू ड्रॉप ब्लू गांव में ही अपनी सभी संस्थाओं का मुख्यालय बनाकर वह यही अस्थाई रूप से बस गए तथा महर्षि महेश योगी की मृत्यु 5 फरवरी 2008 में नीदरलैंड में हुई थी ।